पहले नहीं गिना किये मैंने दिन के पहर कभीं,
आजकल ये क्या आदत बुरी लगी मुझे,
कब रोने का था बहाना मिला, याद नहीं पिछला,
अब बे-बात ये रोने की क्या लत लगी मुझे,
कुछ हो गया शायद मैं , एकदम से ही बदनसीब,
कुछ पिछले ही जन्मों की लेनदारी लगे मुझे,
लोग देखें जो मुझे जलें जातें हैं नादाँ,
आ कर कहीं देख ले ना, क्यां आतिश लगी मुझें,
जो आएं थे पहले दर्द अपने लियें , मुझसे मिले फिर आ के ,
शायद सुकून दिल को कुछ थोड़ा मिले उन्हें ,
फिर उस ही की रहमत होगीं , फिर वहीँ वक्त बदलेगा ,
थक हार के इक वो ही दर अंतिम दिखें मुझे,
आजकल ये क्या आदत बुरी लगी मुझे,
कब रोने का था बहाना मिला, याद नहीं पिछला,
अब बे-बात ये रोने की क्या लत लगी मुझे,
कुछ हो गया शायद मैं , एकदम से ही बदनसीब,
कुछ पिछले ही जन्मों की लेनदारी लगे मुझे,
लोग देखें जो मुझे जलें जातें हैं नादाँ,
आ कर कहीं देख ले ना, क्यां आतिश लगी मुझें,
जो आएं थे पहले दर्द अपने लियें , मुझसे मिले फिर आ के ,
शायद सुकून दिल को कुछ थोड़ा मिले उन्हें ,
फिर उस ही की रहमत होगीं , फिर वहीँ वक्त बदलेगा ,
थक हार के इक वो ही दर अंतिम दिखें मुझे,